Saturday 13 August 2016

कमी तेरी....

कमी तेरी,बनकर नमी,
प्यासे मेरे मन की धरती को ,
करती है सराबोर ,
और दाग मेरे गुनाहों के,
धुल जाते हैं कभी-कभी। 

कमी तेरी ,होकर भी अधूरापन ,
करती है मुझे पूरा,
भर कर जीवन का सूनापन। 

कमी तेरी कोई कमी नहीं,
है ऐसे रंगों की दुनिया ,
जिससे मैंने रंगा  है,
अपने ख्वाबों का आसमाँ, 
और हकीकत की जमीन। 

5 comments:

  1. true love needs not presence....it stays with you forever.....good poem...

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  2. कमी भी सब हो जाती है सच्चे प्यार में
    भावविभोर करती रचना।

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  3. सुन्दर प्रस्तुति योगेश जी। पुनः सादर आग्रह के साथ निवेदन है कि आप मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों और अपने ब्लॉग पर अनुशरणकर्ता का विजेट भी लगाएं -
    मेरे ब्लॉग का लिंक www.rakeshkirachanay.blogspot.com

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