Wednesday 6 January 2016

ख्वाब

थे कई ख्वाब ,
बनकर सितारे ,पहुँच से दूर होते रहे,
यादों के आसमान में आज भी चमकते हैं ,
जब - जब करता हूँ ऊपर वाले से  सवाल। 

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